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Sunday, 25 January 2015

दिल को छू लेने वाली कविता ..'बेटी भागकर भी वापस आ गयी' ........

भाग कर भी बेटी वापस आ गयी !!! 


उसने कहा था की प्यार करेगा वो आसमान से ज्यादा,   


मगर मुझे इल्म था की उसका आसमान इतना छोटा सा हैं.


मैं नहीं उड़ सकती हूँ दूर उस गगन में चाहकर भी,


जिसके लिए मैंने त्याग दिया था अपने बाबुल के स्वर्ग को.


खो गए वो वादे और वो सारी कसम जिन्हें तुमने कहा था कभी,


किस तरह से दिखाए थे मुझे दिलकश दिवा-स्वपन तुमने जीवन के.


अब हर रोज़ यूँ लड़ना और झगड़ना एक एक छोटी सी बात पर,


नहीं ये वो जीवन नहीं जिसके मैंने कभी सपने संजोये थे संग तेरे.


सिसकती रहती हूँ छिपकर अंधेरों में अकेले ही रात-दिन अब मैं,


नहीं जा सकती वापस वहीँ जहाँ से भागकर आई थी मैं कभी


अब तो काटना हैं जीवन इन्ही अँधेरी दुःख भरी रातों में मुझे मंगल,


वरना लोग कहेंगे बाबुल को इसकी बेटी भागकर भी वापस आ गयी। 

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