सियाचिन ग्लेशियर !
सियाचिन दुनिया का सबसे बड़ा पहाड़ी ग्लेशियर है, जो 21,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां तापमान शून्य से 50 डिग्री नीचे तक चला जाता है, फिर भी भारतीय सेना यहां हरदम मुस्तैद रहती है. सियाचिन ग्लेशियर के दक्षिण पश्चिमी किनारे पर साल्टोरो रिज है। 1984 में भारतीय गुप्तचर एजेंसियों को इस बात के ठोस सुराग मिले थे कि पाकिस्तानी फौज साल्टोरो पर कब्जा जमाने की योजना बना रही है। उस समय परवेज मुशरर्फ स्कर्दू ब्रिगेड के कमांडर थे और ऑफिसर इन चार्ज ऑपरेशंस भी थे ।
मेघदूत हवाई अभियान !
13 अप्रैल, 1984 को भारतीय फौज ने मेघदूत के नाम से हवाई अभियान शुरू किया । कुमाऊं रेजीमेंट के पर्वतारोहियों को साल्टोरो रिज पर उतारा गया ताकि वे प्रमुख शिखरों पर कब्जा कर सकें। 48 घंटे के भीतर ही पाकिस्तानी फौज ने भी ऑपरेशन शुरू कर दिया । काफी ऊंचाई पर भयंकर ठंड में लड़ाई छिड़ गई, लेकिन पहले कब्जा जमाने वाली भारतीय सेना वहां बनी रही ।
भारतीय सेना इस बढ़त को थाल में सजाकर पाकिस्तानी फौज को कतई नहीं सौंपना चाहती। यहां सैन्य टुकड़ियों पर भारतीय सेना का प्रति दिन पांच करोड़ रु. खर्च आता है। यहां हादसे भी हुए हैं जिनमें कई जवान मारे गए हैं। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल अतहर अब्बास ने को न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया था कि वहां 1984 से लेकर अब तक 3,000 पाकिस्तानी जवान मारे जा चुके हैं, जिनमें 90 फीसदी मौसम की मार के शिकार हुए हैं ।
सियाचिन ग्लेशियर पर सेना हटाने को लेकर बात - चित !
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सियाचिन से पाकिस्तानी फौज को एकतरफा तौर पर वापस बुलाने की जरूरत के बारे में कहा है। अब तक सियाचिन पर दोनों देशों के बीच 12 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन मामला अटका पड़ा है । पाकिस्तान अब भी एक्चुअल ग्राउंड पोजीशन लाइन (एजीपीएल) को नहीं मानता क्योंकि इससे वहां की जनता में यह संदेश जाएगा कि उसकी सेना कभी सियाचिन पर थी ही नहीं। भारतीय फौज साल्टोरो रिज पर है जबकि पाकिस्तानी फौज ग्लेशियर से कम-से-कम दो से सात किमी की दूरी पर है।
कारगिल युद्ध !
दोनों ही देश 1984 से लगातार चोटियां फतह करने के लिए होड़ लगा रहे हैं। मुशर्रफ ने सियाचिन का बदला लेने के लिए ही 1999 में करगिल में युद्ध छेड़ा, लेकिन मुंह की खाई और 700 से ज्यादा पाकिस्तानी जवान मारे गए. 2003 में रमजान के दौरान युद्ध-विराम घोषित हुआ जो आज तक जारी है। पाकिस्तान ने भारत को इस इलाके से खदेड़ने की कोशिश की है, लेकिन उसके फौजी नाकाम रहे हैं। जो काम वह जंग के मैदान में नहीं कर सका, अब वही कूटनीति से पूरा कर लेने की इच्छा पाले बैठा है ।
भारत का मानना है कि यथास्थिति के कारण पाकिस्तान को ज्यादा नुकसान हो रहा है, जहां तक भारतीय सेना का सवाल है, वह सियाचिन पर समझौता नहीं कर सकती। सैन्य मुख्यालय के एक उच्चपदस्थ सूत्र ने बताया, अभी सियाचिन से वापसी की कोई वजह नहीं है। सामरिक और तात्कालिक तौर पर इतनी ऊंचाई पर नियंत्रण भारत के हक में है। पाकिस्तान ने कभी भी भारत को मौका नहीं दिया कि वह उस पर भरोसा कर सके। सूत्रों के मुताबिक, जब पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वि. के. सिंह पर सियाचिन से सेना हटाने का दबाव बढ़ा था तो उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कह दिया था कि यह राष्ट्रीय हित में नहीं है। सूत्र ने कहा, मौजूदा सेनाध्यक्ष सार्वजनिक बयान तो नहीं देंगे, लेकिन राजनैतिक तिकड़मों की वेदी पर राष्ट्रीय हित से समझौता भी नहीं होने देंगे ।
पाकिस्तान एक धोखेबाज !!
पाकिस्तान ने 1947 से अब तक हर लिखित और मौखिक करार को तोड़ा है। इसीलिए पाकिस्तान पे भरोसा किया जा सकता। पूर्व सेना प्रमुख जनरल वेद प्रकाश मलिक कहते हैं, ''आखिर क्या गारंटी है कि भारत जिन शिखरों को छोड़ेगा, वहां पाकिस्तान कब्जा नहीं करेगा? फरवरी 1999 में लाहौर शांति प्रक्रिया के कुछ महीनों बाद ही पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा का उल्लंघन करके करगिल में कई भारतीय चौकियों पर कब्जा कर लिया था । करगिल में यह घुसपैठ 1972 में दोनों सेनाओं और सरकारों द्वारा मान्य शिमला समझौते के तहत परिभाषित नियंत्रण रेखा का उल्लंघन थी ।
देश का सैन्य रणनीतिक समुदाय सरकार के शांति बहाल करने के इस रवैए के बिल्कुल खिलाफ है। वह चाहता है कि पाकिस्तान से घुसपैठ रुके, वह अपने आतंकी शिविरों को बंद करे, भारत के प्रति विद्वेषपूर्ण रवैया रखने वाले अपनी जमीन पर मौजूद आतंकी समूहों को खत्म करे, उसके बाद ही सियाचिन पर आगे बढ़ा जा सकता है। बहरहाल, सियाचिन में भारत को काफी नुकसान हुआ है। भारत के कई जवान मरे जा चुके है, युद्ध विराम के बाद जवानो की मरने की संख्या में कमी आई है।
सियाचिन ग्लेशियर से इंडिया को फायदा !
भारतीय फौज प्रभावशाली ऊंचाई पर तैनात है जो पर्वतीय युद्ध के लिहाज से अहम है ।
साल्टोरो रिज पर अपनी स्थिति के चलते भारतीय सेना पाकिस्तान-चीन की बढ़ती गतिविधियों पर भी नजर रख सकती है। पाकिस्तान ने कथित तौर पर गिलगित और बाल्तिस्तान का बड़ा हिस्सा चीन को विकास के लिए सौंप दिया है। इन इलाकों में हजारों की संख्या में चीनी टुकड़ियों और इंजीनियरों के होने की रिपोर्ट है ।
भारतीय सेना सियाचिन ग्लेशियर के आगे साल्टोरो रिज पर तैनात है जो जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख की रक्षा के लिए अहम है ।
पाकिस्तान 2014 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की नियोजित वापसी के मद्देनजर वहां रणनीतिक मजबूती पाने के लिए अपना ध्यान अफगानिस्तान पर केंद्रित करना चाहता है। दो मोर्चों पर सैन्य टुकड़ियां तैनात करना उसे महंगा पड़ेगा। 2014 के बाद वह एक बार फिर अपनी पूर्वी सीमा पर ध्यान देगा जिसमें उसके सहयोगी होंगे दोबारा उभर चुके लश्कर-ए-तैयबा, तालिबान और अलकायदा ।
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