देश
में ऐसी भी पत्नियों की कमी नहीं है जो अपने वीआईपी पति के जीवनकाल में सामान्य
रूप से घर गृहस्थी संभालती रहीं लेकिन पति के अचानक गुजर जाने के बाद उन्होंने खुद
सार्वजनिक जीवन की कमान संभाली और सफलता ने उनके कदम चूमे।
सोनिया गाँधी, शीला दीक्षित |
रमा पायलट |
आदि के नाम इनमें शुमार होते हैं। राजीव गाँधी जब तक रहे
सोनियाउनकी हमकदम रहीं लेकिन उन्होंने अपना पूरा ध्यान बच्चों
राहुल - प्रियंका के लालन पालन पर दिया।
राजीव गाँधी जब तक रहे तब तक सोनिया घर में ही रहीं। राजीव की मौत के बाद कांग्रेस
सोनिया सात साल तक शोक मनाती रहीं। 1998 में सोनिया पहली बार लोकसभा चुनाव
में कांग्रेस के प्रचार के लिए निकलीं और फिर जल्दी ही उन्होंने कांग्रेस की कमान थाम ली।
कि अपने व्यस्त जीवन में भी वह अपने परिवार और निजी संबंधियों के लिए वक्त
निकालती हैं। प्रियंका के दोनों बच्चे नानी की गोद में खेलकर ही बड़े हुए हैं। कांग्रेस के
ऊर्जावान नेता रहे राजेश पायलट की कार दुर्घटना में हुई मौत के बाद उनकी पत्नी रमा
पायलट ने उनकी राजनीतिक विरासत संभाली। लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता।
वह राजस्थान में विधायक भी रहीं लेकिन रमा ने यह मोर्चा तब तक ही संभाला जब तक बेटे
वह राजस्थान में विधायक भी रहीं लेकिन रमा ने यह मोर्चा तब तक ही संभाला जब तक बेटे
सचिन को पिता की विरासत पकड़ा नहीं दी। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पति
विनोद दीक्षित भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे तो उमाशंकर दीक्षित केंद्र में
लंबे समय तक वरिष्ठ मंत्री और दिग्गज नेता रहे।
अधिकारी पति के साथ शीला ने परिवार की पूरी जिम्मेदारियों पूरी की और साथ ही
उमा शंकर दीक्षित के कामकाज में भी मदद करती रहीं लेकिन पति की मृत्यु के बाद शीला
राजनीति में प्रवेश किया और कांग्रेसी विरासत संभाली।
उर्मिला बेन पटेल |
बना है । इसका अब भी वह पूरा ध्यान रखती हैं। जब भी किसी को खाने या नाश्ते पर
बुलाती हैं तो खुद अपने हाथ से परोस कर खिलाती हैं। बच्चे बड़े हो गए हैं इसलिए अब कुछ
वक्त उनके बच्चों के साथ बिताती हैं।
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